उसूलुल फिक़ह
उम्मते मुस्लिमा मे अहकाम और अक़ीदे की तश्रीह मे पाये जाने
वाले इख्तिलाफ का हल मौजूद है मगर बदक़िस्मती से इस हल को बताने/सिखाने की बजाये मसलकी शिद्दपसंदी और तक्फीरी फित्नो को
फरोग दिया जा रहा है. इज्तिहादी इख्तिलाफ और अक़ीदे की तश्रीह मे पाये जाने वाले
इख्तिलाफी मसाईल उम्मत के लिये नये नही और न ही यह उम्मत मे इंतिशार का सबब बने है
जब तक उम्मत पर इस्लाम की बुनियाद पर सियासी इक़तिदार क़ायम था.
उसूलुल फिक़ह इस्लाम के क़ानून का वोह बुनियादी विषय है जो
उम्मत मे पाये जाने वाले हर इंतिशार की वज़ाहत करने के साथ साथ उसका हल पेश करता
है. इसी के मद्दे नज़र हमने इस मौज़ूअ पर मुस्तन उसूली मवाद पहली बार हिंदी ज़बान मे
पेश किया है.
हुक्मे शरई
हुक्मे शरई
कोई हुक्म फर्ज़ कब
होता है? इसको जानने के लिये
नीचे दिया मज़मून ज़रूर पढे
कोई हुक्म मन्दूब
(सुन्नत) कब होता है? इसको जानने के लिये
नीचे दिया मज़मून ज़रूर पढे
कोई हुक्म मुबाह कब
होता है? इसको जानने के लिये
नीचे दिया मज़मून ज़रूर पढे
तलब जाज़िम के क़राईन
तलब गैर-जाज़िम के क़राईन
तखय्युर के क़राईन
दलील
माखज़े शरीआ
इज्तिहाद और तक़लीद
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